5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग EXPLAINED

5 Simple Statements About पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग Explained

5 Simple Statements About पारद शिवलिंग और स्फटिक शिवलिंग Explained

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 इसकी पूजा से कुंडली में मौजूद सभी तरह के गृह दोष समाप्त हो जाते हैं।

पारे, चाँदी और जड़ी बूटी को मिलाकर के जो शिवलिंग बनता है, वह पारद शिवलिंग कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है और उनके इस शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है।।

अगर आपके परिवार में किसी सदस्य की तबीयत खराब है और दवाई आदि का भी कोई असर नही हो रहा है, तो आपको पराद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इस शिवलिंग की पूजा करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।

हिंदू धर्मात भगवान शिवाची उपासना अतिशय महत्तवाची मानली जाते. सर्व प्रकारच्या शिवलिंगांच्या पूजेमध्ये पारद शिवलिंगाचे खूप महत्त्व आहे.

पारद शिवलिंग को साक्षात शिवजी का स्वरूप माना गया है, इसकी पूजा से मिलता है अक्षय पुण्य

पूजा के बाद इन शिवलिंगों की देखभाल कैसे करें?

त्यामुळे त्यात शिवाचा वास असल्याने जे जे संसार रुपी मानव आहेत त्यांनी पाऱ्याच्या शिवलिंगाची उपासना करावी असे त्यात म्हटले आहे.

पूजा के दौरान कुबेर देव को धूप-दीप दिखाते हुए “ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:” मंत्र का जाप करें।

श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र नेमगिरी संस्थान, नेमगिरी, जिंतूर, महाराष्ट्र…

उपरोक्त विधि को करने के पश्चात आप बुधवार को अथवा अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में इसे स्थापित करें।

- थाल या more info पात्र में एकत्रित जल को पौधों में डाल सकते हैं.

अंत में वह सब सुखो को भोग कर वह मोक्ष को प्राप्त करेगा

उत्तरी पाकिस्तान में स्थित कटासराज मन्दिर में स्थापित शिवलिंग।

आमतौर पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, लेकिन एकमात्र शिव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं.

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